Post – 2017-12-06

आंत सी टेढ़ी है, छोटी सी है यह बन्द गली।
‘तर्कवादी’ सभी इसमें समा गए कैसे?
धर्म की राजनीति जिसका कोई धर्म नहीं
अपना घर छोड़ गलत घर में आ गए कैसे ?
कोई बतलाए किसी को तो राज होगा पता
किससे खाया था और कितना खा गए कैसे?
दर्द उठता तो तड़पते भी हैं ललकारते भी
बनाने वालों को कोई बना गया कैसे ?