Post – 2017-12-06

ज़िंदगी पुरनम थीं, आंखें खुश्क, दिल बेजार था।
जब तलक तुझ पर फिदा था, जब तलक तू यार था।
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कहना चाहा उसे कहा ही नहीं
इतना गाफिल कभी रहा ही नहीं।
किस तरह तूने बचा कर रक्खा
दिल किसी को कभी दिया ही नहीं।
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दिल की बीरानियों का क्या कहना
उजड़ चुके तो बसे लगते हैं ।।