Post – 2017-11-09

मैं भी उस दिल का दाग हूँ शायद
जिसमे सौ आफ़ताब छिपते हैं
दिल का काला नहीं हूँ लो मुझमें
उज्वलंत आसमान छिपते हैं.
नहीं छिपती, मगर, नहीं छिपती
दिल की गहराइयों कि वीरानी
दुश्मनी हो तो वह बनी तो रहे,
क्यों सदाकत में आप छिपते हैं .