इसकी शुरुआत जब भी हुई, सरकार को दोष नहीं दिया जा सकता। सरकार धोखे में आ सकती है। जनजातियों में यह प्रयोग हुआ जहां ईसाई सक्रियता को प्रोतसाहित किया जा रहा था, इसलिए यह धोखा नजर न आया। यह आज भी जारी है। बिल गेट्स बार बार आता है। उसकी संस्था की सक्रियता पर रोक लगनी चाहिए। उसके प्रयोग के भुक्तभोगियों के लिए भारी हर्जाने की माग की जानी चाहिए। बिल गेट्स को भारत प्रवेश की अनुमति न दी जानी चाहिए और इसे राजनीति का खेल न बनाते हुए सभी बुद्धिजीवियों को सभी मंचों से एक जुट होकर यह अभियान चलाना चाहिए।
(एक रोचक बात यह हुई कि पहले बीबीसी की जिस लिंक को मैंने गूगल से उठाया था उसे अपनी टिप्पणी में लिंक किया तो पहले मेल नहीं खुला. फिर गूगल पर उसे खोल कर केवल इबारत नकल कर चस्पा किया तो कुछ समय दिखाई दिया फिर वह भी अदृश्य हो गया. जो भी हो bill Gates १९९७ में देव गौड़ा के समय से ही भारत आता रहा है पर तब यह धंधा न शुरू हुआ था. दवाओं और इन्जेकशनों के प्रयाग का कारोबार मार्च २०११ में आरम्भ हुआ, उसके बाद के वर्षों में बिल गेट्स बार बार आता रहा है और कैंसर से लेकर दूसरी खतरनाक दवाओं के प्रयोग उनको नीरोग करने वाले शॉट्स के रूप में आजमाए जाते रहे हैं जिससे उन्हें भारी क्षति हुई है. स्थान बदलते रहने के कारण धोखाधड़ी चलती रही है। वह मोदी का भी प्रशंसक है। अब सूना बिहार की बारी है। यह एक गंभीर मसला है। एक खतनाक युद्ध जिसमे चुप रहने का मतलब हमलावरों का साथ देने जैसा है।)