Post – 2017-10-16

शंकामोचन

Ashutosh Kumar वाजपेयी, मोदी , आप और आधे आपके मित्र । ये साढ़े तीन सच्चे संघी हैं।वाजपेयी गहन सन्यास में हैं। मोदी जी तीव्र गति से उसी ओर बढ़ रहे हैं।अब आप ही संघ की रक्षा कर सकते हैं।
पसंद करें · जवाब दें · 1 · 3 घंटे
प्रबंधित करें
शरद सिंह काशी वाले
शरद सिंह काशी वाले क्या संघ की आलोचना और हिन्दू जनभावना से खिलंदड़पन ही लेखन विषय के अभिन्न रह गए हैं अब ??आदरणीय इस विषय पर जब भी आप कुछ लिख रहे हैं वो संघ को समझने समझाने की अपेक्षा चिढ़ाने की समझ आ रही तो आक्रोश ही निकलेगा प्रतिवादी के लेखन से और शायद सभी के स्वयं के भीतर के रावण को ऊर्जा देता रहेगा।सादर
पसंद करें · जवाब दें · 3 · 9 घंटे · संपादित
प्रबंधित करें
Bhagwan Singh
Bhagwan Singh मैं कुछ कहता हूँ तो अपने तर्क और प्रमाण के साथ। उसका खंडन तर्क और प्रमाण से करें। नहीं कर पाते, क्योंकि बौद्धिक विकास की और ध्यान नहीं दिया गया। आक्रोश पैदा होगा क्योंकि शाखा में यही उत्तेजित किया जाता रहा। आप स्वयं मेरे आरोप का समर्थन कर रहे हैं।

मैं जब भारतीया कम्युनिस्टों पर, या भारतीय मुसलमानों पर इससे भी तीखे ढंग से एक पर एक दर्जनों लेख लिखता रहा तो उनमें से किसी को बुरा भी लगा हो तो भी किसी में आक्रोश पैदा नहीं हुआ। संघ ने भारतीय संस्कृति के नाम पर ज्ञान की इतनी गौरवशाली परंपरा के होते हुए भी विचार नहीं पैदा किया, जिससे अपना बचाव कर सकें, केवल आक्रोश भरा कि बात बे बात भड़कते रहो, फूटते रहो, फूट पैदा करते रहो, पर यह नहीं समझाया कि भड़कने और फूट पड़ने वाला सबसे अपना सर्वनाश करता है, वह घड़ा हो .पटाखा या बम या क्रोधांध व्यक्ति या समाज । वह मैं समझाना चाहता हूं, पर ज्ञान देनेवाले पर आक्रोश आता है। मैं कह चुका हूं, लेखक की भूमिका शिक्षक और चिकित्सक की भूमिका होती है, जब तक बात समझ में नहीं आती, समझाने का प्रयत्न जारी रहेंगा, जब तक बीमारी है, चिकित्सा जारी रहेगी।
मैं केवल आप लोगों को संबोधित नहीं कर रहा हूं। आप लोगों के माध्यम से सर संघचालक से भी विचार की मांग करता हूं।
पसंद करें · जवाब दें · अभी अभी