यदि आपके कथन की केवल तारीफ होती है तो आप ने कुछ कहा ही नहीं। जो बात लोगों को पसन्द आती है उसे कह दिया । विरोध ही इस बात की कसौटी है कि आप ने कोई नई बात कही है। यदि आपके विचारों से तिलमिलाहट पैदा होती है तो आप के विचार ने गहरा असर किया है। उपेक्षा से बड़ा अपमान और विरोध और तिलमिलाहट से बड़ा सम्मान किसी लेखक का हो नहीं सकता, हां उसके अपने कथन में शालीनता अवश्य होनी चाहिए।