मैने 6 अक्तूबर को एक प्रश्न किया था:
क्या आप मान सकते हैं कि संघ के लोग दहाड़ते हुए बोलते, बौखलाये हुए सोचते और सहमते हुए काम करते हैं ।
इस पर आई एक प्रतिक्रिया पर मैने एक टिप्पणी की थी जो आनन्द राज्याध्यक्ष, पुष्कर अवस्थी और अवनीश पी एन शर्मा को पसन्द आयी और उन्होने मेरे ही वाल पर इसे बारी बारी से टैग कर दिया। इन पर इतनी मुखर प्रतिक्रियाएं आईं कि लिखना सार्थक हो गया। अंग्रेजी का एक मुहावरा है – फ्राम हार्सेज माउथ। इन प्रतिक्रियाओं को जितने लोग पढ़ सकें, अवश्य पढ़ें, इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि संघ क्या है, इससे जुड़े लोगों के ज्ञान का स्तर क्या हैं, इनकी संस्कृति क्या है, और सबसे बड़ी बात कि वे अटल जी और मोदी जैसे कद्दावर और खुली सोच के लोगों को झेल क्यों नहीं पाते हैं।