Post – 2017-10-07

राष्ट्रगान को लेकर अदालत में जाने की नौबत न आनी चाहिए थी। रोहिंग्या समस्या को लेकर अदालत जाने की जरूरत न होनी चाहिए थी। सेकुलर ऐक्टिविज्म मुस्लिम कम्युनलिज्म का दूसरा नाम है जो सरकार के सही कूटनीतिक फैसले लेने में बाधक तो है ही, मुसलमानों के अपने हित में भी नहीं है। इससे जिस मनोवृत्ति का पोषण हुआ उसमें दरबाबंद मानसिकता और उखड़ापन बढ़ा है जो असुरक्षा की प्रतीति में जब तब मुखर होती है। मुसलमानों को राष्ट्रगान गाने से ही नहीं, भारतमाता, मातृभूमि या पितृभूमि, या भारत को भारत कहने से भी गुरेज रहता है। ऐसा कहने और मानने से जुड़ाव पैदा होता है, सेंस आफ बिलांगिंग पैदा होती है और कतराने से उसकी हानि होती है, खानाबदोशी या उचक्कापन की भावना पैदा होती है, जिसका प्रभाव मनोबल पर भी पड़ता है, मन की शान्ति पर भी, जिसे असुरक्षा की भावना कहते हैं, याने, कारण आप के भीतर है और दोष दूसरों को देते हैं। नो दाई सेल्फ, टु क्योर योरसेल्फ।