Post – 2017-09-10

अपने अपने हीरो अपने अपने खलनायक

आज समाचार छपा है “कश्मीर में दो आतंकी ढेर, पुलिस का एक जवान शहीद।” किसी अदृश्य अखबार में यही खबर इस तरह छपी है “कश्मीर में दो स्वतन्त्रता सेनानी शहीद, एक सिपाही ढेर। सुख और शान्ति से भरे एक आदर्श मानवीय समाज में शहीद या ढेर होने की जगह तीनों को हंसते मुस्कराते जीना चाहिए था । एक बिगड़े हुए माहौल में ढेर किए जाने वाले को जीवित रहने देना असंख्य जिन्दगियों को बर्वाद करने की छूट देने जैसा है। हमारी मूल्यप्रणाली की कसौटी हम है, मानवता की परिभाषा हमारे निजी, साुदायिक या राष्ट्रीय हितों के अनुसार बदलती है, वीरता और कायरता की परिभाषाएं भी । हमारा सैनिक वीरतापूर्वक शत्रुओं को मारता और दुश्मनों द्वारा कायरतापूर्वक मार दिया जाता है। विभाजित हितों वाले समाजों मे एक का हीरो दूसरे का खलनायक होता है । कोई भी विचार सबके लिए सही नहीं होता । निष्पक्ष रहें तो किसी वस्तुव्यापार के तथ्यों को अंकित किया जा सकता है, सत्य तक पहुंचा नहीं जा सकता। वह सापेक्ष होता है ।