क्या यह सच है कि जिस सिद्दारमैया ने कोरस गाया जो पुलिस की निष्पक्ष जांच को प्रभावित कर सकता था उसी की पुलिस नक्सल कोण की तलाश कर रही है,क्योंकि धमकियां उसी से मिली थीं। यदि ‘हां’ तो क्या हमारे मित्र आगे से अपनी प्रतिक्रिया देने से पहले धीरज से काम लेंगे कि जन सामान्य जो उन्हें आग लगाने वाली जमालो समझने लगा है सुधी मानने को तैयार हो सके । ऐसा मैं शुद्ध स्वार्थवश लिख रहा हूं क्योंकि लेखक होने के नाते मेरा हित उनके हित से, मेरी साख उनकी साख से, लाख असहमतियों के बाद भी जुड़ी है।