हम हँसेंगे नही
पता करेंगे क्या अब भी दुनिया में हँसी बची है?
हम कोशिश करेंगे
उस पवित्रता को उतारने की
जिसमें गंदगी का यह निशान मिट जाय.
हम कोशिश करेंगे उस निज़ाम की’
जिसमे मोतियों जैसे आंसू ढलेंगे
पर कोई हंसेगा नहीं
हमारे संकल्प में विकल्प के लिए जगह नहीं है