Post – 2017-05-24

आदमी लगने के लिए जैव नियम ही काफी हैं, आदमी बनने के लिए तपस्या करनी होती है। आदमशक्लों के बीच आदमी इतने दुर्लभ हैं, कि हम अपने समाज को आदमशक्लों का समाज तो कह सकते हैं, पर आदिमियों का समाज नहीं कह सकते। आदमशक्लों में कुछ जानवर हैं, कुछ देवता, आदमी कहां बच रहा है इसका अनुसंधान करने की जरूरत है। पसीना आग बन कर रोशनी देता है दुनिया को। अगर जाना नहीं इसको तो अब भी वक्त है यारो।