मैं इन दिनों अपनी पुस्तक के तीसरे खंड का प्रूफ देख रहा हूं । सामने ३१.५.१६ की पोस्ट का एक अंश हैः
“अभी कल ही खबर आ रही थी कि किसी प्रतिष्ठित माने जाने वाले अस्पताल में आक्सीजन की जगह नाइट्रोजन की नली लगा दी गई और इसमें दो बच्चों की जान चली गई । यह शिक्षा प्रणालीको बताना है कि वह कौन सी नली लगा रही है कि ज्ञानका स्तरघटता गया है और विस्फोट का स्तर बढ़ता गया है और सारे डिग्रीधारी नौजवान िवस्फोटक गैस के इतने आदीहो गए हैं कि उसे अधिकाधिक मात्रा में पाने के लिए आन्दोलन कर रहे है ।”
मेरा विश्वास है कि िदल्ली विश्वविद्यालय या जनेवि के छात्रसंघ या िशसं के पास इसका जवाब देगा।