Post – 2016-11-28

”यार तुम तो कह रहे थे हिन्‍दुओं में मेरे जितने मित्र हैं उससे कम मुसलमानों में नहीं हैं । पर जब तुम ‘बच के रहना रे बाबा, बच के रहना रे’ पर उतर आए तब समझ में आया तुम कितने पाखंडी हो । तुम्‍हें अपना कहा याद है या नहीं ।”

”याद क्‍यों न रहेगा, मैं तो सहस्राब्दियों पीछे की काम की बातें तक याद रहता हूं।यह बताओ तुम मेरे मित्र हो या नहीं । और मैं तुम्‍हारे विचारों और मान्‍यताओं से बच कर अपने मत पर कायम रहता हूं या नहीं । सावधानी और जहां बराव जरूरी हो वहां बराव, बुनियादी ईमानदारी से जुड़े प्रश्‍न है। पाखंड से तुम अपने को धोखे में रख सकते हो, दूसरे का मनोरंजन कर सकते हो, परन्‍तु उसका विश्‍वास नहीं जीत सकते। जब तुम अपने कथन और व्‍यवहार से यह सिद्ध करते हो कि तुम ईमानदार हो तभी अगले का विश्‍वास तुम पर जम पाता है जो मित्रता की पहली शर्त है ।”

वह फंस गया था ।