Post – 2016-10-30

जो लफ्ज ‘मुहब्‍बत’ था, एक हर्फ में सिमटा है
‘तू’ है तो मुहब्‍बत है, ‘तू’ है तो जमाना है ।
मैं तनहा बहुत खुश था, मैं तनहा बहुत कुछ था
खुद को तलाशता हूं जबसे तुझे जाना है ।
मरता था कभी तुझ पर देखो अभी जिन्‍दा हूं
मरने का तमाशा भी जीने का बहाना है ।
तुमको न समझ पाया हैरान नहीं इस पर
खुद अपने को देखो तो कुछ देर से जाना है ।