Post – 2016-09-25

कुछ नसीहत उन्‍हें भी दे नासेह
जो नहीं जानते हुआ क्‍या है ।
बददुआ को दुआ समझते हैं
यह नहीं जानते दुआ क्‍या है ।
क्‍यों कहें, क्‍या कहें, समझ ही नहीं
चुप रहें कब, इसे सीखा ही नही
मानते खुद को जमाने का खुदा
पूछते हैं कि माजरा क्‍या है ।
पूछो भगवान से उसको वजह पता होगी
पता न हो तो पता करके बताए तो सही
पढ़े लिखों का सर फिरता हैं कैसे हंसते हुए
हया का मोल दिखाता ये बेहया क्‍या है ।

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भगवान मुझे देख कर डरता है देखिए
कहता हूं सामने आ पर आ कर नहीं देता ।