एक पुरानी तुकबन्दी
क्या कोई लफ्ज मुझे भी बयान करता है
तुमने तो देखी है हर इक लुगात बोलो तो।
नाम भगवान है हिंदी में लिखा करता हूँ
वही हिन्दी जो बनी है बिसात बोलो तो।
तुम्हें देखा और मुझे तुम भी देखते ही रहे
हम एक सवाल हैं या खुद जवाब बोलो तो।
रोज लिखता हूँ और वह भी बदहवासी में
पढ़ते हो, सुनते हो मुझको, जनाब बोलो तो।
मैं फलसफा नहीं एक तल्ख हकीकत हू मगर
तुम भी कुछ हो कि नहीं हो, जनाब बोलो तो।
प्यार करते हैं मगर शक भी कम न होता है
सवाल दर सवाल है जवाब, बोलो तो।
6 जून 2015