सोचो तो जमाने में कहां क्या नहीं होता
हम चाहते है जैसा बस वैसा नही होता।
मैं उनको बहुत दूर से था देखता लेकिन
वह देखते मुझको तो तमाशा नही होता।
ऐ इश्क तेरा होना भी नफरत के सिवा क्या
जो हो चुका तेरा वह किसी का नहीं होता।
भगवान से पूछो वह किसी का कभी हुआ
होता ही तो पत्थर में वह पिन्हा नहीं होता।
9 अगस्त. २०१६