Post – 2016-08-06

न मैं तुमको समझ पाया न तुम मुझको समझते हो
मुझे भी हो पता अपने को तुम क्‍यों क्‍या समझते हो
मुखातिब है उसे भी जान पाने की नहीं चाहत
बताते हो कि तुम सारे जमाने काे समझते हो।
समझने की जरा सी शर्त है नफरत से बाहर आ
नही मुश्किल समझना इसकाे, फिर भी क्‍या समझते हो।
अकड़ता था बहुत भगवान वह बन्‍दों से ऊपर है
गुजारिश उससे तुम क्‍या अपने बन्‍दों को समझते हो ।
वह जिस भी आसमां पर था जमीं पर आ गया देखो
कहा क्‍यों आप मुझको खाक से ऊपर समझते हो।x