Post – 2016-02-28

ऐतिहासिक चरण के बीच विचरण

यदि तुम सचमुच मानते हो कि एक ऐसा ऐतिहासिक चरण आया है जिसमें हिन्दी का या जैसा तुम कहते हो भारतीय भाषाओं का भी वर्चस्व स्थापित हो सकता है, तो तुम्हें इसे साफ बताना चाहिए। तुम फिकरेबाजी में खो जाते हो और कहॉं से कहॉं चले जाते हो। उठ कर भागने का मन होता है, पर दुर्भाग्य यह कि फिर लौटना भी पड़ता है और टकराना भी पड़ता है। क्या तुम अपनी बात संक्षेप में नहीं रख सकते ?’’

’’मैं वही कर रहा हूँ, परन्तु तुम फास्ट फूड युग के लावारिस दावेदार हो, कहीं के नहीं, जिस देश और समाज के हो उसके भी नहीं, और यह नीयत की खोट के कारण नहीं है, उस जल्दबाजी के कारण है जिसमें तुम न अपनी भाषा को समझ पाते हो, न अपने अतीत को समझ पाते हो, न वर्तमान को समझ पाते हो, और हद यह कि पिटते हो तो अपनी दुर्गति को छिपाने के लिए हँसते हुए कराहते हो, बहुत मजा आ रहा है, और मारो, और मारो।‘’

मैंने सोचा था वह इस पर उग्र प्रतिक्रिया करेगा। वह भौचक था। उसने इतने ताबड़तोड़ प्रहार की उम्मीद ही न की थी। उसकी इस दुर्दशा से मैं स्वयं पसीज गया, कहा, ‘’मैंने तुम्हें लावारिस दावेदार कहा तो तुमको बुरा नहीं लगा। मैंने तो सोचा था तुम उत्तेजित होगे तो कुछ और मजा आएगा, मजा किरकिरा कर दिया तुमने । यह बताओ लावारिस का मतलब समझते हो?’’

’’तुम्हांरी तरह लल्लू हॅूं जो न समझूँगा? लावारिस का अर्थ है जिसका कोई वारिस न हो, जो अनाथ हो।‘’

’’तुमने ठीक समझा, पर इसका एक ही अर्थ समझा। देखो शब्दों की अपनी जैवशक्ति और जीवनी होती है, इसलिए वे प्राणियों की तरह व्यरवहार करते हैं। उनके कई तेवर होते है, एक करवट लेते हैं तो एक अर्थ निकलता है, और दूसरी करवट लेते हैं तो दूसरा और तन कर खड़े होते हैं तो तीसरा, और दबाव में आकर घुटने टेक देते हैं तो किताबी अर्थ होते हुए भी वे व्यर्थ हो जाते हैं। तुमने अपनी झटपटिया समझ में उसका एक ही अर्थ समझा, वारिस, अर्थात् गार्जियन, अर्थात अभिभावक। यह नहीं समझा कि यह शब्द विरासत से भी कुछ संबंध रखता है और विरासत का कुछ संबन्ध इतिहास से भी है जिसे तुमने योजनाबद्ध रूप में नष्ट किया है। इसका एक और अर्थ है, वह परंपरालब्ध संपदा जिसे समझने की तुमने योग्यता पैदा न की, योग्यता के अभाव में उससे नफरत करने लगे, उसे मिटाने का संकल्प ले लिया। और उसे मिटाने और अग्निसात करने से जो राख बची रह गई उसे भी माथे से लगाने की जगह, पॉवों से रौंदते रहे। मैंने देखा था वह दृश्य जिसमें झंडा उठाए तुम भी शामिल थे।‘’

क्या उसे अपनी जमीन पर खड़ा करने के लिए इतनी पिटाई की जरूरत थी? वह भड़का तो बोला नहीं, दहाड़ते हुए तन कर खड़ा हो गया, जिसका श्रव्य रूप था, ‘’तुम मूर्ख हो।‘’

”वह तो हो सकता हूँ, पर कोई कारण, कोई तर्क, कोई प्रमाण कि मैं अपने को समझा सकूँ कि मैं वह हूँ जो तुम मुझे मानते हो, और मेरे उन तर्कों, कारणों और प्रमाणों के होते हुए भी तुम अपने को वह नहीं मानते जो तुम्हें मैं मानता हूँ।‘’

’’वह कुछ सोचने लगा। सही बचाव न मिल रहा होगा, इसलिए देर हो रही थी। उसने एक मोटा सवाल उछाला, तुम राष्ट्रवादियों के साथ हो या हमारे साथ?’

’’मैं उस परिभाषा के साथ हूँ जिससे यह समझा जा सके कि नेशन और नेशनलिज्म की अर्थछटाऍ क्या हैं और कैसे वही नेशन या राष्ट्रू कांग्रेस के साथ जुड़कर अकुतोभय बन जाता है, और कैसे वही उसके वर्चस्व के विरोध में खड़े होने पर सर्वतोभय बन जाता है। तुम जिन शब्दों का अर्थ तक नहीं जानते, उनका नारों के रूप में प्रयोग करते हो। तुमने विरासत को नष्ट भी किया, बची संपदा के दावेदार भी बने और जिन जनों का हित करने के लिए प्रतिबद्ध थे उन्हें मछली की तरह छटपटाने को छोड़ गए। अंग्रेजी मुहावरे मे बात करें तो ‘हाई ऐंड ड्राई’ या तड़फत तड़प कर मरने के लिए छोड़ देना। तुम जिन लोफ पिकर चैनेलों के बल पर सही होने का प्रयत्न् करते हो, वे तुम्हारी बची खुची साख भी मिटा रहे हैं और अपनी साख भी गँवा रहे हैं। कहॉं थे कहॉं आ गए और यह जानने की कोशिश तक न की कि यह हुआ कैसे।‘’

’’असह्य हो तुम। कल बात करेंगे जब होश में आ जाओगे।‘’ वह उठा तो मेरे हाथ पकड़ कर रोकने के प्रयत्न के बाद भी मुझें झटकते हुए आगे बढ़ गया।