अस्पृ श्यरता की जडें
वह बहुत गंभीर था। मैं तो जानता ही नहीं था कि हिन्दू समाज के भले बुरे की चिन्ताृ उसे भी होती है। बोला, ‘जानते हो इस अस्पृुश्यबता का हिन्दूा समाज को क्या मूल्यक चुकाना पड़ा है?’
‘क्या मूल्य‘ चुकाना पड़ा है?‘ ’यह सब इस ब्राह्मणवाद के चलते है।‘ वह स्व यं अपने नाम के साथ लगे शर्मा से अलग नहीं हुआ है, पर अपनी सोच से ब्राह्मणवाद से और इसी तरह हिन्दु त्वक के संकरे दायरे से बाहर निकल आया है, पर एक समाज के रूप में हिन्दू के हित की चिन्ता उसे भी रहती है, यह कभी कभी प्रकट हो जाता है। ’मैं तो यही सोच कर हैरान हो गया कि हिन्दून के हित की चिन्तान तुम्हें भी रहती है।‘ ’तुमसे अधिक। तुम जिसे हित कहते हो वह हिन्दुदत्वि की उस उदार चेतना का विनाश है, जिस पर हम सभी को गर्व है और जिसे हम बचाए रखना चाहते हैं। तुम्हािरा हिन्दूद हित जर्मनों से सीखा गया संकीर्ण और अन्धे राष्ट्रतवाद है। हिन्दूा हित की मेरी समझ तुम्हा्री समझ से कुछ उूपर है, तुम्हाधरी दबी रह जाती है।‘ ’मान लिया तुम्हा री समझ हवाई है, मेरी जमीनी, पर जिस अहित की बात बताने जा रहे थे उसे तो बताओ।‘ वह हंसने लगा, ‘शरारत से बाज नहीं आओगे। खैर सुनो। हो सकता है इससे ही तुम्हाारा दिमाग ठिकाने लगे। पहला यह कि इसने हिन्दूा समाज को बांट रखा है। तुम्हानरे सभी आन्दो लनकारी और समाज सुधारक इस बात के लिए चिन्तित रहे हैं कि सबको जोड़ने का कोई एक मंच होना चाहिए। ब्रह्मसमाज से लेकर आर्यसमाज तक और तुम्हा रे संघ तक, चिन्ताभ इसी की करते रहे हैं पर मन में ही खोट, जातिवाद चेतना में घुसा हुआ है इसलिए पूरे समाज को जोड़ आज तक नहीं पाए। इसी के कारण हिन्दुवओं का एक बहुत बड़ा हिस्साए मुसलमान हो गया और फिर उसी से तुम नफरत भी करने लगे। भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमानों से हिन्दुसओं की नफरत अपने उन भाइयों से नफरत है, जिनको तुम अपने साथ नहीं रख पाये। जो तुम्हादरी अस्प़ृहश्यरता से तंग आ कर इस्लासम कबूल करने को मजबूर हुए। कभी सोचा है इस पर?‘ ’मैं तो इस बात पर हैरान हूं कि तुम भी इन सवालों पर सोचते हो। तुमने तो बहुत टेढ़े सवाल खड़े कर दिए। इतने और इतने पेंच दरपेंच कि एक का हल निकले तो दूसरा उसे अपने फन्देो में उलझा ले। यह एक दिन में सलटने वाला मसला तो हुआ नहीं। फिर भी। यह बताओ, जब ईसाइयों ने अपने धर्मान्रलटनण अभियान में यह पाया कि ब्राह्मणों को ईसाई बनाने चले तो युग लग जाएंगे और मन मार कर दलित समाज पर ध्यानन दिया और पहली बार अस्प़ृ श्यगता के प्रश्नस को हथियार के रूप में आजमाना शुरू किया, उससे पहले इसकीप शिकायत तो जारी थी, पर इसने विक्षोभ का रूप कभी नहीं लिया। इसका कारण क्यास है? ’कारण यह है कि उनको इस तरह दबा कर रखा गया था वे चूं तक नहीं कर सकते थे। पहली बार ईसाइयों ने उन्हेंो शिक्षित किया तो उनको आत्म बोध जगा और विद्रोह की वह लहर पैदा हुई।‘
‘और धर्मान्तउरण का रास्ताि कुछ आसान हुआ। ठीक है न?‘ वह तिलमिलाया पर बोला कुछ नहीं। मैंने पूछा, ‘तुम जानते हो, इसका एक और कारण था।‘ वह उत्सुकता से मेरी ओर देखने लगा। अस्प़ृ श्यमता का ब्राह्मणों ने अपनी श्रेष्ठाता के लिए उपयोग किया, परन्तुर अस्प़ृ।श्यआता के जनक तो वे स्व्यं थे जिन्हें। अस्पृएश्यग की श्रेणी में रखा जाता था।‘ वह ऐसे उछला जैसे पांव में कुछ चुभ गया हो, ‘सताए हुए को ही सताने वाला भी बता दिया। जुल्मे की हद है।‘ ’यार यह मोटी बात तो एक दो पेशेवर इतिहासकारों की भी समझ में आ चुकी है। उन्हेंल ध्यावन से पढ़ो तो सही। यह बीमारी कबीलाई या जिसे कोसंबी ने बहुत सुन्द र नाम दिया था, आटविक समाज में भी थी और उसी से निकली है। वे अपने समुदाय के साथ तो असाधारण आदर्शवादिता का निर्वाह करते थे, परन्तुक उससे बाहर उनकी कोई नैतिकता न थी। किसी की हत्याव, अपहरण कुछ भी कर सकते थे और उनको काबू में करने के लिए नशीली चीज खिलाने से ले कर उनको विश्वा,स में ले कर किसी खाद्य पदार्थ में विष मिला कर खिलाने तक को उनके समाज में हेय नहीं माना जाता था। अपने समुदाय के बाहर चोरी, लूट कुछ भी अनैतिक न था। इनमें अनेक तो अभी हाल तक म़त्युथ व्यावसायी रहे हैं और उनकी अपनी नैतिकता में वे जघन्य कृत्य तक शामिल थे। इसलिए सावधानी के रूप में यह खान पान से आरंभ हुआ कि अपने समुदाय से बाहर के किसी व्यथक्ति के हाथ का पानी या पका भोजन नहीं करना। फल, दूध पर कोई रोक नहीं, क्यों्कि फल में नशीले वा विषैले पदार्थ का प्रवेश कराने की तरकीब तब मालूम न थी और दूध में विषैला पदार्थ मिलते ही वह या तो फट जाएगा, या उसका रंग बदल जाएगा और आसानी से पता चल जाएगा यह विषाक्त है या नहीं।‘ ’ब्राह्मणों का इसमें कोई योगदान नहीं? ‘ है क्यों नहीं, उन्हों ने इसमें शुचिता या आरोग्य‘ का एक नया पहलू जोड़ दिया और फिर इसका दंडविधान में प्रयोग करने लगे। यह समझ लो अस्प़ृ श्य ता की चेतना अस्पृकश्योंा में किसी से कम नहीं रही है और यह ब्राह्मणों के सिखाने के कारण नहीं हुआ है। यह बहुत पेचीदा समस्याअ है। इस पर हम कल बात करेंगे।