Post – 2015-10-17

मैं चाहता हूँ कि तुम खुश रहो पर खुश हो क्या.
अच्छे दिन आने थे, आये हैं, मगर खुश हो क्या?
अगर नाखुश हो बताओ तो नाखुशी की वज़ह
बुरे दिनों की वापसी हो तो तुम खुश को क्या?
क्या कहा तुमने ‘बुरे दिन उन्हें कहा ही नहीं’
जो कहा करते थे, करते थे उससे खुश हो क्या?
तुम किनके साथ थे वे कर रहे थे क्या उस वक़्त
उनके हमराज और हमदर्द बन के खुश हो क्या?
तुम भी भगवान बका करते हो जाने क्या क्या
आईना लेकर घूमते हो मगर खुश हो क्या?
inspired by a comment by a veteran politician