Post – 2015-09-17

तुम खाद हो या फूल या तितली बने यहाँ.
या उड़ते परिंदे हो चहकते यहाँ वहाँ
तुम एक चमत्कार हो महिमा विराट की
जैसे भी, जो भी, जिस भी तरह हो जहाँ जहाँ
कुछ भी नहीं मिलेगा तुम्हें आसमान में
बस आग और आग के गोले जहाँ तहाँ.
हाँ धूल है और धूल के अंधड़ भी बेहिसाब
सूरज निगलने वाले अँधेरे जहाँ तहाँ .
धरती ने जो दिया न मिलेगा बिहिश्त में
हाँ गन्दगी मिलेगी यहाँ की जहाँ तहाँ.
2015-09-16/17