Post – 2015-09-16

टाइम्स ऑफ़ इंडिया में IS पर इरफ़ान की टिप्पणी के बाद जिसमें उन्हें IS की याद आते ही वैदिक काल की याद आती है.

उलझन में हूँ सचमुच कहूँ मैं किसको सितमग़र
जब तुम भी सामने हो और जल्लाद भी हाज़िर.
बतलाओ तो मैं किससे लिपट जाऊं मेरे दोस्त
जब कुर्सी सामने हो और इंसान भी हाज़िर.
बीते दिनों में जीने के खतरे तो कम नहीं
जब वर्तमान सामने इतिहास भी हाज़िर.
दो नावों पर चढ़ने के नतीजे तो करो याद
जब पहने मार्क्सवाद हो इस्लाम भी हाज़िर.
भगवान से मैंने कहा क्यों छिप रहा है तू
है वेद का बोझा लिए इरफ़ान भी हाज़िर.
बोला ‘कहा मेरा न मानते हैं सिरफिरे
दीवानापन भी आप को, दीवान भी हाज़िर.
9.15/16.2015