Post – 2020-03-09

नया अंधकारयुग

हम एक खतरनाक युग में जीवित हैं। इसमें प्रौद्योगिकी पर नियंत्रण करने वाले विज्ञान का उपयोग उन महान संभावनाओं के विपरीत करते हुए विज्ञान को ही उन परिणतियों के लिए अपराधी सिद्ध कर सकते हैं जैसे आगजनी करने वाले आगजनी के लिए आग के आविष्कार को दोषी सिद्ध करने लगें। आज सूचना और संचार के ऐसे पैने और छद्म साधनों का विकास हो चुका है जिसमें हम किसी व्यक्ति के इरादों, विचारों, और योजनाओं के बारे में इस सूचना तंत्र का आविष्कार, संचालन और नियंत्रण करने वाले, या इसकी गहरी समझ रखने वाले जान सकते हैं जिनमें से कुछ को हम स्वयं नहीं जानते या उतनी अच्छी तरह नहीं जानते और जो इनका प्रयोग उन व्यक्तियों के विरुद्ध कर सकते हैं।

हम इस तंत्र पर इसकी इस सीमा तक निर्भर कर चुके हैं कि यह जानते हुए भी कि इसका दुरुपयोग हमारे विरुद्ध किया जा सकता है हम इस पर अपनी निर्भरता को कम नहीं कर पाते, क्योंकि कम करने का अर्थ है पिछड़ जाना, व्यर्थ हो जाना। हम सब कुछ जानते हैं, परन्तु सूचना और संचार के स्रोताें पर नियंत्रण करने वालों की जरूरत के अनुसार पहले से ही रँगे और बदले जा चुके रूप में जानते और उसे ही सब कुछ मान बैठते हैं, जिनकी नीयत पर भरोसा नहीं किया जा सकता और जिनकी जरूरतें हमारी जरूरत के विपरीत हो सकती हैं, इसलिए उनके माध्यम से मिली जानकारी विषाक्त हो सकती है।

इनके अपने हितों और जरूरतों की प्रतिस्पर्धा के अनुसार विषाक्तता के विविध रूप हो सकते हैं जिनके बीच हमें किसी एक या किन्हीं को कम विषाक्त मान कर उनके माध्यम से जिन प्रतीतियों या सत्याभासों तक पहुँच सकते हैं और अपनी विवशता में उसे या उन्हें ही कम विषाक्त मान कर भिन्न दृष्टि या राय रखने वालों को गलत मान सकते हैं या इस भ्रामकता को समझते हुए इनके पीछे की सचाइयों को उजागर करते हुए स्वयं इनसे उबरने और दूसरों को भी इससे बाहर निकलने में सहायक हो सकते हैं। यही वह स्थिति है जिसमें बुद्धिजीवी की भूमिका की सही पहचान हो सकती है।

इस चर्चा को हम आनंद स्वरूप वर्मा की पुस्तक पत्रकारिता का अंधायुग में प्रकाशित तथ्यों से आरंभ करना चाहेंगे जिसकी कतिपय सीमाओं का बोध वर्मा जी को भी होगा, परंतु इसकी सार्थकता यह है कि भले इसमें हमारी आज की विभीषिका और इसकी उग्रता के सम्मुख हमारी सापेक्ष्य निरुपायता का चित्र स्पष्ट हो सके या नहीं, इसके इतिहास को तलाशने का प्रयत्न किया गया है। इसे हम कल के लिए स्थगित रखना चाहेंगे।