Post – 2020-03-03

मैं चाहता हूँ अनावश्यक हस्तक्षेप या टिप्पणियाँ न करें। यदि कोई त्रुटि दिखाई दे तो अवश्य इंगित करें। फिर भी संवाद करना जरूरी लगे तो गरिमा का ध्यान रखते मर्यादित भाषा नें संक्षिप्त टिप्पणी करें। मतभेद को नीयत से जोड़ना स्वयं अपने गिरे होने का इजहार है। पता लगाना चाहिए कि सच क्या है। संजय को अनुशासनहीनता के कारण दून स्कूल से निकाल दिया गया था इसलिए आगे पढ़ाई न चली। इसके बाद कार की यांत्रिकी सीखने गए। मुझे भी यह तलाश कर पता चला-। छोटी कार उस समय चर्चा में थी जिसे बनाने की अनुमति नहीं दी जा रही थी, इसी को लेकर लोहिया का तंज था। कयासबाजी से बचते हुए तमीज से अपना पक्ष रखा करें। जो व्यक्ति स्रोत भाषा और साहित्य से परिचित नहीं वह कोई नई खोज नहीं कर सकता। नेहरू ने किताबों के माध्यम से भारत के विषय में जाना और गुटनिपेक्ष जगत का नायक – नए युग का अशोक प्रियदर्शी – बनने के चक्कर में सामरिक तैयारी की उपेक्षा करके अपनी हवाबाजी का फल पाया।