तुम बता सकते हो, एनिमल फार्म का प्रवेश भारत में कब हुआ? इंडिया दैट इज भारत युग में, या इंडिया दैट इज हिन्दुस्तान/हिंदुस्थान दैट इज भारतवर्ष युग में?
मैं न उसका इरादा समझ पाया, न प्रश्न। वह शैतान की तरह मुस्कराता रहा। उसकी मुस्कराहट अधिक डरावनी लगती है – वह फैलती चली जाती है और फिर चेहरा गायब हो जाता है और हँसी एक ठोस सचाई की तरह तन कर सामने आ जाती है।
‘उसके सवालों से बच कर निकला नहीं जा सकता, वे मूर्खतापूर्ण हों तो भी।‘ मैं बेचैनी में सोचता हूँ और इसका भी उसे पता चल जाता है, “मूर्खता होती नहीं। देखने का कोण सही न हो तो समझदारी की बात मूर्खतापूर्ण लगती है।“
उससे बहस की ही नहीं जा सकती। गुत्थमगुत्थ अवश्य हुआ जा सकता है। पर उसके लिए उसकी इबारत तो समझ में आनी चाहिए।
“में किसी एनिमल फार्म में नहीं गया। किसी के बारे में नहीं जानता।“
“जानने के लिए भीतर जाने की जरूरत नहीं। ऐसी भी सचाइयाँ होती हैं जिनमें घुसने वाला बाहर नहीं निकल पाता। बाहर वालों को सब कुछ पता होता है, यह भी कि उसे बाहर कैसे निकालना है, उसके प्रेत से कैसे निबटना है।
लाचारी में अपना सिर नोचने लगा।
उसे मेरी उलझन समझ में आ गई, “कहते हैं जो बात तुम्हारी समझ में नहीं आती उस पर रिसर्च करने पर जुट जाते हो। रिसर्च करो और बताओ, इसका उत्तर जानना भारत से जुड़ा है।