Post – 2020-01-18

गालियाें, जख्मों से, बदनामियों, गुमनामियों से।
बच के रहते हैं जो, सड़ने को भी तैयार हैं वे ।।
सोचते हैं नहीं, हैं मानते लश्कर बन कर ।
फौज बन कर भी हैं, अनसेफ, और लाचार हैं वे।।