Post – 2019-12-16

मृत्यवे त्वां ददामि

नचिकता काअर्थ होता है नासमझ । उशन का अर्थ होता है किसी फल के लिए लालायित। कठोपनिषद का यह वाक्य उशन् ह वै वाजश्रवसः सर्व वेदसं ददौ’ भारतीय इतिहास का हिस्सा बनने जा रहा था। विभाजन की तैयारी चल रही थी, तब नचिकेता लोग जिनकी समझ में नहीं आ रहा था कि हमारा होना क्या है आशंकित होकर बार-बार पूछ रहे थे हमारा क्या होगा। हम दूसरे भारतीयों से अच्छे न भी हों परंतु बुरे तो किसी से नहीं है। हमारा सब कुछ उनको दे रहे हो जो हमारे साथ शांति से रह नहीं सकते, फिर हमें किसको दे रहे हो। और हमारे नेताओं ने साफ शब्दों में यह तो नहीं कहा कि हम तुम्हें यमराज को दे रहे हैं परंतु यह तो कहा ही था जहां हो वहीं रहो और आप का कुछ नहीं बिगड़ेगा ।

यदि उन्होंने यह आश्वासन दिया था कि वहीं रहो तो उनकी सुधि लेने की जिम्मेदारी भी उनकी बनती थी । किसी की जिंदगी और सम्मान को कोई भी आदमी अपनी इच्छा पूरी करने के लिए जुआड़ी की तरह दांव पर नहीं लगा सकता। यह जघन्य अपराध हमारे नेताओं ने किया था। उसके बाद भूल कर भी उनकी खबर नहीं ली। वे अस्मिता की रक्षा के लिए नरक की यातना सहते रहे। उनकी चीखें सुनाई देती रहीं। पिछली सरकारों ने ध्यान नहीं दिया। मोदी को इस बात का श्रेय जाता है कि इतिहास की इस भयंकर भूल को जिस सीमा तक सुधारा जा सकता है सुधारने के लिए बिल लेकर आए और उसे कानून शक्ल देने में सफल हुए।

यह कानून उन लोगों को सुरक्षा देने के लिए है जो अविभाजित भारत के नागरिक थे, जो हमारे नेताओं के आश्वासन पर उन्हीं देशों में रह गए थे पर उन्हें सुरक्षा न मिली। मुसलमानों में अविभाजित भारत के मुसलमान जहां भी हैं पूरी तरह सुरक्षित हैं। भारत में भी बांग्लादेश में भी और पाकिस्तान में भी। संकट में झोक दिए जाने वाले सभी गैर-मुसलमान थे। उनको संकट से मुक्ति दिलाने का दायित्व कांग्रेस का था, क्योंकि उसी के आश्वासन पर वे वहाँ रह गए थे। इसमें कहीं कुछ कम्युनल नहीं है, इसमें बाधा पहुंचा कर इसे सांप्रदायिक बनाया जा रहा है।

मुसलमानों ने सांप्रदायिक दंगे फैला कर ऐसा माहौल बनाया था कि घबराकर देश का बंटवारा स्वीकार किया गया। भारत में वे जहां भी थे, वही हैं और उन्हें पूरी सुरक्षा मिली है। अविभाजित भारत के जिन गैर मुस्लिम लोगों ने नेताओं के आश्वासन के धोखे में आकर मुस्लिम देशों मे रहना कबूल किया किया संकट में वही पड़े हैं इसलिए यह उन उन संकटग्रस्त लोगों के लिए अल्पतम सुरक्षा देने की चेष्टा है। मुसलमान पूरे देश में है और प्रत्येक राज्य में सड़क पर उतर सकते हैं। परंतु ऐसा करके वे सामाजिक ध्रुवीकरण को और प्रखर करेंगे और इसका लाभ दक्षिणपंथी राजनीति को होगा, इसे उन्हें समझ लेना चाहिए, भारत दोबारा नहीं बँटने जा रहा है।