Post – 2019-12-05

मनुष्य के दिमाग का इस्तेमाल उसी के विरुद्ध किया जा सकता है, उसी की बुद्धि का इस्तेमाल करके उसका सर्वनाश कराया जा सकता है, उसे अपमानित करके अपने अपमान में ही गौरव अनुभव कराया जा सकता है, यह पहली नजर में बुद्धि की भूमिका पर सन्देह जगाता है, परन्तु इसका असल कारण है, बुद्धि को किसी किसी मादक पदार्थ से अचेत कर दिया जाना- मादक पदार्थों के बारे में हम सभी जानते हैं पर यही काम हमारे आवेग भी करते हैं – राग, द्वेष, काम, क्रोध, अहंकार, भय, लोभ – यह भी हमें पता है। विश्वास जीत कर आप की बुद्धि की भूमिका नष्ट करके ही विश्वासघात किया जाता है। भक्तिभाव भी अतिविश्वास और अन्धविश्वास पर ही आधारित होता है। इन सभी में बुद्धि का प्रयोग आवेग को सही सिद्ध करने या कारगर बनाने के लिए किया जाता है। इसलिए जब हम बुद्धि का प्रयोग करते हैं तो यह देखना जरूरी होता है कि हम अपनी बुद्धि से काम ले रहे हैं या हमारा कोई आवेग हमारी बुद्धि को अपना औजार बना रहा है। यह तय करना आसान नहीं होता, इसलिए बुद्धि पर भरोसा न करके, इस बात पर नजर रखनी चाहिए कि हम जो सोचते हैं या करते हैं उसका परिणाम क्या होता है। पहले बुद्धिमानों का जमाना था, वे बहुत ऊँची ऊँची और इसके बाद भी मूर्खता की बातें करते थे। फिर चार सौ साल पहले किसी को सूझा, बात पर क्या जाना, नतीजा देखो। यहाँ से आरंभ हुआ विज्ञान युग.- खयाल और उसका परीक्षण – हाईपोथेसिस-एक्सपेरिमेंट- रेजल्ट इस कसौटी को ही अमल में ला कर आप समझ सकते हैं कि आप बुद्धि से काम ले रहे हैं या कोई दूसरा आप की बुद्धि का अपने लिए और आपके विरुद्ध, समाज से विरुद् काम में ला रहा है। यह है शुद्ध बुद्धि की मीमांसा।