मै आज आज यह दिखाना चाहता हूँ कि हमें हमारी आँखों के रहते अंधा बनाया जा सकता है, सारी दुनिया हमारे सामने है और लफ्फाजी के कमाल से इसे भ्रम सिद्ध करके जिसके बारे में आप कुछ नहीं जानते है, जिसका न कोई रूप है न आकार उसे एकमात्र सत्य सिद्ध किया जा सकता है और आप उसके पीछे पागल हो कर दुनिया से मुँह फेर सकते हैं और इस पागलपन के कारण ही अपने को दूसरों से अधिक समझदार मान सकते हैं, यहाँ तक कि उनसे नफरत भी कर सकते है। सभी धर्म और विश्वास अपने अपने ढंग से, किकी न किसी अनुपात में यही काम करते हैं। इस व्यवस्था के मालिक और इसे चलाते रहने वाले निठल्ले और निकम्मे लोग होते है निठल्लेपन को भी महिमा मंडित करने के लिए वे सबसे अधिक गर्हित काम करने वालों को मानते हैं, जिसका सबसे बड़ा प्रमाण है हिन्दू वर्णव्यवस्था।