Post – 2019-10-05

अब अपने ही चमन में ऐसी हालत हो गई अपनी
न काँटों से चुभन होतीं, न गुल पहचान आते हैं ।
हर आती-जाती सूरत सिर्फ आईना सी लगती है
मैं खुद को देखता हूँ, वह दरक कर टूट जाती है।