Post – 2019-09-13

अभी तक यह पहेली समझ में नहीं आती थी कि ऋषि लोग अमुक एकान्त स्थल पर यज्ञ सत्र के लिए एकत्र हुए। न यज्ञ का रूप समझ में आता था न सत्र की लंबी अवधि पल्ले पड़ती थी। अब लगता है यह माइनिंग सेसन ही था, जिसके सही चरित्र को लंबे अन्तराल और शताब्दियों के प्राकृतिक विपर्यय के बाद लोग भूल गए थे (अद्रिरार्चन्येन दश मासो नवग्वाः ।5.45.7) यह सत्र नव या दस मास का (नवग्व/ दशग्व) होता था। शब्द बचा रहा, पहचान खो गई।