जाहिलिया की व्युत्पत्ति
जाहिलिया अरबी का शब्द है। इसका मूल जहल है जिससे जाहिल शब्द निकला है जिसका अर्थ मूर्ख है। इस विषय में आधिकारिक सूचना नहीं मिलेगी परंतु हमारा अनुमान है कि इसका अर्थ बुद्धिमान हुआ करता था और यह जहन का पूर्व रूप था। अनुमान इस तथ्य पर आधारित है संस्कृत में कुत् (देखें भो. कूतना- अनुमान करना; सं- कौतुक-जिज्ञासा; कुत्ता – जागरूक रहने वाला प्राणी)/ कित् (दे. चि-कित्सा, वि-चि-कित्-सा – संदेह, दुविधा) अभिप्राय जानना हुआ करता था और इसी के कारण कौत्स एक ऋषि का नाम था। परंतु आगे चलकर एक अन्य विद्वान कौत्स नाम के हुए हैं जिन्होंने वेदों की घोर भर्त्सना की। उसके बाद कुत्स का अर्थ परिवर्तन हो गया और यह घृणित के आशय में क्यों होने लगा, जिससे कुत्सित शब्द निकला है। इसी तरह मोहम्मद के अपने खानदान में जहल नाम के एक व्यक्ति हुए थे। वह न केवल मोहम्मद के विचारों का विरोध करते थे, अपितु जिन लोगों के बीच में मोहम्मद इल्हामों ही बात करते थे, उनके बीच जाकर वह उन्हें धूर्त, मक्कार, ढोंगी आदि कह कर दुष्प्रचार किया करते थे। जाहिलिया अरबी का शब्द है। इसका मूल जहल है जिससे जाहिल शब्द निकला है जिसका अर्थ मूर्ख है।
इस विषय में आधिकारिक सूचना नहीं मिलेगी परंतु हमारा अनुमान है कि इसका अर्थ बुद्धिमान हुआ करता था और यह जहन का पूर्व रूप था। अनुमान इस तथ्य पर आधारित है संस्कृत में कुत्, कित् का अभिप्राय जानना हुआ करता था और इसी के कारण कौत्स एक ऋषि का नाम था। परंतु आगे चलकर एक अन्य विद्वान कौत्स नाम के हुए हैं जिन्होंने वेदों की घोर भर्त्सना की। उसके बाद कुत्स का अर्थ परिवर्तन हो गया और यह घृणित के आशय में क्यों होने लगा, जिससे कुत्सित शब्द निकला है। इसी तरह मोहम्मद के अपने खानदान में जहल नाम के एक व्यक्ति हुए थे। वह न केवल मोहम्मद के विचारों का विरोध करते थे , अपितु जिन लोगों के बीच में मोहम्मद इल्हामों ही बात की करते थे, उनके बीच जाकर वह उन्हें धूर्त, मक्कार, ढोंगी आदि कह कर दुष्प्रचार किया करते थे। आगे चलकर देखेंगे कि यह अब्बू जहल ही था, जिसने मोहम्मद को अपशब्द कहे थे तो हमजा ने उसका असर तोड़ दिया था, जब हाशिम कुनबे के दूसरे सभी लोग मोहम्मद के साथ निर्वासन की जिंदगी जीने का फैसला करके चले गए तो यह अकेला था जिसने जाने से इंकार किया। यही व्यक्ति है जिसने बद्र के जंग में नेतृत्व किया था और मारा गया था और जिसके सिर को अपने सामने पेश करने पर मोहम्मद ने प्रसन्नता प्रकट की (the Prophet said: ‘This is the head of Abu Jahl, the enemy of God’.)।