इस्लाम का प्रचार (ग)
पांचवे साल चार महिलाओं और ग्यारह पुरुषों का एक जत्था अबीसीनिया पहुँचा था। जब यह पता चला कि कुरैशों से सुलह होने वाली है तो इनमें से कुछ लौट आए थे, पर जब मुहम्मद ने देवताओं की निंदा आरंभ कर दी और उससे नाराज होकर कुरैशों ने उन पर अत्याचार करना आरंभ किया तो अबीसीनिया में शरण लेनेवालों की संख्या तिरासी तक पहुंच गई। इसके बाद छठें वर्ष में जिन दो धर्मांतरणों उल्लेख हम पहले कर आए हैं उससे एक नए आत्मविश्वास का संचार हुआ तो दुबक कर दिन गिनने की जगह सीधे काबा में पहुंच कर शक्ति प्रदर्शन की हिम्मत आ गई। इससे इक्के दुक्के कुरैशियों ने धर्म परिवर्तन किया हो सकता है, पर कटुता पहले से अधिक बढ़ गई। मुसलमान भी काबा में पहुंच सजदा करने लगे। मुहम्मद लोगों को डराने के लिए यह कहनेे लगे कि काबा पर बहुत बड़ी विपदा आने वाली है। मक्का वालों पर इसका भी असर नहीं हुआ। वे उन्हें सिद्ध पुरुष की जगह धूर्त समझते थे।
कुरैशियों ने उन्हें सजा देने का एक नया तरीका सामाजिक बहिष्कार का अपनाया।{1} उनके साथ खान-पान, शादी-व्याह, लेन-देन किसी तरह का रिश्ता रखना बंद कर दिया। इसे एक चर्मपत्र कर लिख कर काबा में टांग दिया गया। इस बार अबु लहाब को छोड़कर पूरे बानू हाशिम कुनबे ने, जो मुसलमान नहीं बने थे, उन्होंने भी मुहम्मद साहब का साथ दिया।इस तरह कुरैशियों मैं आपस में ही फर्क पैदा हो गया। हाशिमों को अपनी सुरक्षा के लिए दूसरों से अलग, शिआब दर्रे के इलाके में बसना पड़ा और खासी आर्थिक किल्लतों का सामना करना पड़ा। खाने के लाले पड़ गए। यह दंड 3 साल तक चला। बाद में कुरैशियों को लगा उनसे अत्याचार हो रहा है। कारण, बानू हाशिम कुनबे के लोग भी इस्लाम का उसी तरह विरोध करते थे, जैसे मक्का के दूसरे लोग। प्रतिबंध हटाने के विषय में मुसलमानों में यह विश्वास है कि जिसे चर्म पत्र पर यह दंड विधान लिखा गया था उसे दीमक खा गई, सिर्फ एक टुकड़ा जिस पर ‘अल्लाह’ लिखा हुआ था, बचा रह गया था।
{1} The Quraysh gathered together to confer and decided to draw up a document in which they undertook not to marry women from Banu Hashim and the Banu al Muttalib, or to give them women in marriage, or to sell anything to them or buy anything from them. They drew up a written contract to that effect and solemnly pledged themselves to observe it. They then hung up the document in the interior of the Kaaba to make it even more binding upon themselves. When Quraysh did this, the Banu Hashim and the Banu al-Muttalib joined with ‘Abu Talib, went with him to his valley and gathered round him there; but ‘Abu Lahab ‘Abd al Uzza b. ‘Abd al-Muttalib left the Banu Hashim and went with the Quraysh supporting them against ‘Abu Talib. This state of affairs continued for two or three years, until the two clans were exhausted, since nothing reached any of them except what was sent secretly by those of the Quraysh who wished to maintain relations with them”.
Taken from Tarikh al-Tabari, Volume 6 page 81 – Muhammad at Mecca (book), translated by William Montgomery Watt & M.V. MacDonald
The terms imposed on Banu Hashim, as reported by Ibn Ishaq, were “that no one should marry their women nor give women for them to marry; and that no one should either buy from them or sell to them, and when they agreed on that they wrote it in a deed.” Francis F. Peter, Mecca: A History of the Muslim Holy Land, Priceton Uni. Press, 1994 p.54. cited in Wikipedia
मोहम्मद इस बीच भी अविचलित भाव से मूर्ति पूजा की शिकायत करते हुए एक अल्लाह में यकीन करने की हिमायत करते रहे। लोग उनकी बात पर पूरा ध्यान नहीं दे रहे इसलिए खुदा से भी शिकायत करते तेरी मर्जी होती तो क्या यह हाल तो न होता। Oh Lord, if thou willedest, it would not be thus.
निराशा का यही दौर था, जब और कोई चारा न देख कर, उन्होंने अल्लाह पर यकीन लाने वालों के लिए हूरों और गिलमों और शराब की धाराओं वाली जन्नत के प्रलोभन और उससे मुकरने वालों के लिए जहन्नुम की यात्रा के भय का सहारा लिया:
SURAH AL-WAQI’AH
….12. In Gardens of Bliss.
13. A number of people from those of old,
14. And a few from those of later times.
15. (They will be) on Thrones encrusted (with gold and precious stones),
16. Reclining on them, facing each other.
17.Round about them will (serve) youths of perpetual (freshness),
18. With goblets, (shining) beakers, and cups (filled) out of clear-flowing fountains:
19. No after-ache will they receive therefrom, nor will they suffer intoxication:
20. And with fruits, any that they may select:
21. And the flesh of fowls, any that they may desire.
22. And (there will be) Companions with beautiful, big, and lustrous eyes’
23. Like unto Pearls well-guarded.
24. A Reward for the deeds of their past (life).
25. Not frivolity will they hear therein, nor any taint of ill’
26. Only the saying, “Peace! Peace”.
27. The Companions of the Right Hand’ what will be the Companions of the Right Hand?…
30. In shade long-extended,
31. By water flowing constantly,
32. And fruit in abundance.
33. Whose season is not limited, nor (supply) forbidden,
34. And on Thrones (of Dignity), raised high.
35. We have created (their Companions) of special creation.
36. And made them virgin – pure (and undefiled),
37. Beloved (by nature), equal in age’
38. For the Companions of the Right Hand.
39. A (goodly) number from those of old,
40. And a (goodly) number from those of later times.
41. The Companions of the Left Hand’ what will be the Companions of the Left Hand?
42. (They will be) in the midst of a Fierce Blast of Fire and in Boiling Water,
43. And in the shades of Black Smoke:
44. Nothing (will there be) to refresh, nor to please:
45. For that they were wont to be indulged, before that, in wealth (and luxury),…
46. In Book well-guarded,
47. Which none shall touch but those who are clean:
48. A Revelation from the Lord of the Worlds.
कयामत के दिन सबसे आगे ईमान से लिए कुर्बान होने वाले, दायें ईमान लाने वाले और बायें ईमान से मुंह फेरने वाले हैं।
“अगलों में से यह बहुत होंगे, और पिछड़ों में से कम। जड़ित एवं विभूषित तख्तों पर तकिए लगाए आमने सामने बैठेंगे। उनकी मजलिसों में सार्वकालिक किशोर प्रवाहित स्रोत की शराब से भरे प्याले और कंटर और पान पात्र लिए दौड़ते फिरते होंगे जिसे पीकर न उनका सिर चकराएगा न की उनकी बुद्धि में विकार आएगा। और वे उनके सामने नाना प्रकार के स्वादिष्ट अल्पेश करेंगे जिसे चाहें वे चुन ले, और पक्षियों के मांस पेश करेंगे जिस पक्षी का चाहें, खाएं। उनके लिए सुंदर आंखों वाली अप्सराएं ( हूरें) होगी, ऐसी सुंदर जैसे छिपाकर रखे हुए मोती। यह सब कुछ ओपन करने के बदले के रूप में अपने मिलेगा जो ये दुनिया में करते थे। वहां वे कोई बकवास या गुनाह की बात न सुनेंगे। जो बात भी होगी ठीक ठीक होगी। ….और बायें पक्ष वाले के दुर्भाग्य का क्या पूछना। ब्लू लपट और खोलते हुए पानी और पाली दुबे की छाया में होंगे जो न शीतल होगा, सुखदायक। …” (मुहम्मद फारुख खान का भावानुवाद) ।