डर सवालों से नहीं , और जवाबों से नहीं।
डर कातिलों के इरादों से, बवालों से नहीं।
आप धमकाते हैं तो उतना डर नहीं लगता,
चुप लगा जाते हैं बेसाख्ता डर लगता है।।
जुल्म का हाशिया मालूम है पहले से मुझे
अमन अमान के नारों से ही डर लगता है।
आपके हुस्न के चर्चे तो सुने थे मैैने
देख कर हुश्न के साए से भी डर लगता है।
क्या कहूं, किससे कहूं, कौन सुनेगा मेरी
सोचते हैं तो इशारों से भी डर लगता है।।
दुश्मनों से तो सजग था कभी डरता ही न था
परिचितों से नहीं यारों से भी डर लगता है।।