Post – 2019-04-21

खयालों से आगे खयालों की दुनिया।
मिली भी तो बस आसमानों की दुनिया।।
जमीं पांव रखने को भी मिल न पाई
मिली तोहमतों की बवालों की दुनिया।।
जिसे हम समझते थे अपनी, नहीं है
है जिनकी वे परचम हैं, इंसां नहीं हैं
छिदरते गुजिस्ता जमानों की दुनिया
यही बच रही है बचाने को दुुनिया।।
यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है
यह दुनिया अगर मिट भी जाए तो क्या है।

इसे गर्क होने दो, खुद को बचाओ
जलालत से शर्मिंदगी से बचाओ
यही है हमारे ठिकानों की दुनिया
यही रह गई नौनिहालों की दुनिया।
मेरे पास आओ, मेरे साथ आओ।
यही बस है अगले जमानों की दुनिया