Post – 2018-11-07

दिए जलाओ
सांझ हो गई, दिए जलाओ रे
कहां कहां से चला अंधेरा
सौ कोनों मे पला अंधेरा
दिन में भी है घुला अंधेरा
दिल में भी है बसा अंधेरा
कई रंग का, कई नाद का
जुग जुग का भी
और आज का
परत दर परत जमा अंधेरा
दिए जलाओ रे।
दिए जलाओ सांझ हो गई
दिए जलाओ रे।