Post – 2018-07-15

खुदा बनाया भी तो इतना तंग दिल क्यों कर
औरतें होती हैं उनका खुदा नहीं होता।

अभी अभी पर्सनल ला पर एक बहस सुन कर। कहते हैं खुदा ने आदमी की मौज-मस्ता के सारे सामान बनाने के बाद उसकी पसली से औरत को बनाया कि वह आनन्द लेने के लिए जो भी चाहे करे, अर्थात वह इन्सान नहीं, उपभोक्ता वस्तु है। संविधान और पर्सनल ला के बीच टकराव का यही मुद्दा है। इस पर सभी मानवतावादी बवाली – हिन्दू हों या मुसलमान चुप्पी साध कर घरेलू अत्याचार का समर्थन करते हैं। संविधान जिसने लिंग और धर्म निरपेक्ष रूप में सबको समान नागरिक अधिकार और सुरक्षा प्रदान कर रखा है यदि धर्म सापेक्ष बना कर इसे केवल हिन्दुओ तक सीमित रखता है तो भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का कौन प्रयत्न कर रहा है?