#विषयान्तर
यह मेल मैने 22.6.18 को इस आशा में भेजी थी कि वह अपनी भूल सुधारते हुए अपने कर्तव्य का निर्वाह करने वाले अधिकारी के विरुद्ध की गई कार्रवाई वापस लेंगी। अब तक उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया इसलिए इसे सार्वजनिक कर रहा हूंः
Bhagwan Singh
22 जून (3 दिन पहले)
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सुषमा जी,
मैं एक लेखक हूँ। यदि आप पढ़ने में रुचि लेती हैं तो संभव है नाम से
परिचित हों। उम्र 87 साल। जिस समय सभी लेखकों और पत्रकारों ने भाजपा के
विरुद्ध विद्रोही तेवर अपना कर दुष्प्रचार आरंभ किया, मैं अकेला था जिसने
संघ के प्रति आलोचनात्मक रुख और भाजपा से कोई नाता न रखते हुए भी फेसबुक
पर नरेन्द्र भाई मोदी के नेतृत्व में चलने वाली भाजपा का लगातार समर्थन
करते हुए लेख लिखे, जो भारतीय रीजनीति में मोदी फैक्टर के नाम से किताब
घर से प्रकाशित है। मैं आप की संवेदनशीलता का भी प्रशंसक रहा हूँ।
आप ने हाल ही में एक पासपोर्ट के केस में जो फैसले किए उनसे आप के और
भाजपा के विषय में मेरी राय बदल दी है। अब आप मेरी नजर में सस्ती
लोकप्रियता की भूखी, कामनसेंस से रहित, दिमागी तौर पर तानाशाह और
दूरदर्शिता से शून्य राजनीतिज्ञ प्रतीत होती हैं, परन्तु यदि आपका इरादा
भाजपा को भारी क्षति पहुंचाने का हो, तो मैं अपनी राय बदल कर यह मानने को
तैयार हूँ कि आप बहुत दूरदर्शी नेता हैं।
मुझे खेद है कि मुझे आप के लिए कठोर विशेषणों का प्रयोग करना पड़ा, इसलिए
इसका आधार क्या है यह बताना जरूरी हैः
1. लगता है, सहानुभूति के नाम पर आपने संवेदनशीलता से अधिक प्रचार
और प्रदर्शनप्रियता का ध्यान रखा, अन्यथा सब कुछ इस तरह आयोजित न होता कि
आप मणिशंकर ऐयर की छाया प्रतीत हों।
2. कामन सेंस होता तो आप अपने फर्जी नाम से रहस्मय कारणों से
पासपोर्ट बनवाने वाले जालसाज की सहायक न बनतीं।
3. तानाशाह न होतीं तो अपने कर्तव्य का तत्परता से निर्वहन करने
वाले अधिकारी को कारण बताने का अवसर दिए बिना दंडित न करतीं।
4. दूरदर्शिता होती तो यह समझ पातीं कि इससे सरकारी कर्मचारियों
में क्या सन्देश जाएगा? उनके मनोबल पर क्या असर पड़ेगा? भाजपा के समर्थक
हिन्दुओं पर क्या असर पड़ेगा? पूरे हिन्दू समाज में दूसरे दर्जे का
नागरिक माने जाने का बोध पैदा होगा और मुसलमानों में अहम्मन्यता पैदा
होगी। संशय में रहने वाले हिंदुओं के बड़े हिस्से को लगेगा कि जब इनका भी
वही हाल है तो कोंग्रेस में ही क्या बुराई है।