प्रतीक्षा
समय आयेगा जब हम कहेंगे
‘समय आ गया
‘जिसकी प्रतीक्षा थी हमें!’
यदि होगा ऐसा समय
किसी भविष्य में
इतिहास में तो अदृश्य है!
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बहस
मैं कहूँगा यह सच है
तुम कहोगे ‘गलत’
मैं मान लूंगा, ‘ हम दोनों सही हैं’
तुम मान पाओगे क्या ?
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ओं शांतिः
कविता हमारी जरूरत न रही
हम कविता की जरूरत हैं
वह मर रही है
उसे गंगाजल चाहिए
और लो
गंगा में गंगाजल तक नहीं!