Post – 2017-11-13

इक जंगल नया उगाना है।
इक परबत नया उठाना है।
इंसान का मिटना तो तय है
कुदरत को सिर्फ बचाना है।।
हम मिट भी गए कुछ बच तो रहे
उस पर अपना दसखत तो रहे
पावों के निशान रहें न रहें
अंगुश्त का चिन्ह बचाना है।।