Post – 2017-10-28

हम खुद भी गिरफ्तार थे, तेरी अदा को देख।
अपनी नज़र को देख, हमारी कजा को देख।।
यह भी समझ न आये, हमारी सलाह मान
यह कर्बला नहीं है मगर कर्बला को देख ।।
दुनिया कहां रुकी थी कहों पर पहुंच गयी
तू अपने कारकुन को देख कारवां को देख ।।
हम तुझको मनाते हुए बर्वाद हो गए
अपनी सिफत बयान कर, अपनी शिफा को देख।।
जन्नत भी बनाया तो गलाजत से भरा क्यों
अपने ख़याल देख और अपने जहां को देख ।।
मिट्टी में बुलंदी के आसमान छिपे हैं
तू खुद का आसमान बना कर खुदा को देख।।