Post – 2017-10-01

यदि आप मेरी पोस्ट से परिचित हैं तो भी जरूरी नहीं कि मेरे उस मित्र से भी परिचित हों जिससे मेरी दोस्ती इस बात पर टिकी है कि वह मुझे मूर्ख समझता है और मैं उसकी मूर्खता उजागर करता रहता हूं। जिस दिन किसी को दूसरे की समझदारी पर विश्वास हो गया, दोस्ती टूट जाएगी। उसने मेरे वाल पर एक कविता पोस्ट टैग की । उसका अंग्रेजी अनुवाद अपेक्षित था, हम हिंदी इरादानुवाद देने का प्रयत्न कर रहे हैः

ग़ारती
क्षय क्षय क्षय क्षय
ग़ारत माता!
क्षय जग ठगनी
क्षय डकारिणि
शत्रु दारिणि मां!
संकट आता, संकट जाता
संकट बन कर क्रांति विधाता
तुझको झुक कर शीश नवाता
फिर भी धिक धिक बकता निशि -दिन
तुझको ग़ारत करता जाता
गारत-गारत
गाता-गाता
गारत माता गारत माता।
और हमें कुच्छौ नहिं आता॥
क्षय क्षय क्षय क्षय
गारत माता!