Post – 2017-09-24

मुझे खेद है कि ‘पोस्ट कार्ड’ में सुप्रतीक के मोदी के जन्म दिन पर उनके इस कथन को कि मोदी अपनी मौत के एक साल करीब पहुँच गए, मोदी की ह्त्या की योजना के रूप में पेश किया जा रहा है. मैं स्वयं अपने हर जन्म दिन पर कहता हूँ मैं अपनी मृत्यु के एक साल और करीब पहुँच गया और काम अभी इतने करने को बाकी है. इस तरह की भोंडी व्याख्या होती रही तो हास्य, व्यंग्य, विनोद के लिए जगह न बचेगी. मैंं सुप्रतीक को नहीं जानता, उनकी राजनीति को नहीं जानता, पर उनके साथ खड़ा होकर चाहता हूँ उनके खिलाफ जो कार्रवाई की जाय वह मेरे खिलाफ भी हो. वेदिक कवियों के खिलाफ भी हो जो उषा को जिंदगी का एक एक दिन कम करनेवाली कह कर भी याद करते हैं.