चुप होने से पहले उसने कहा
कुछ सुना तूने
सच उसके मौन से पहजे का कुछ भी न सुना था
पर
उसके मौन में
गूंजते हैं
कितने युग एक साथ
अंधेरे में
जगमगाती हैं
कितनी रोशनियां एक दूसरे में घुलती
धरती से आकाश तक ।
चुप होने से पहले उसने कहा
कुछ सुना तूने
सच उसके मौन से पहजे का कुछ भी न सुना था
पर
उसके मौन में
गूंजते हैं
कितने युग एक साथ
अंधेरे में
जगमगाती हैं
कितनी रोशनियां एक दूसरे में घुलती
धरती से आकाश तक ।