Post – 2017-07-16

एक लेफ्ट टु दि राइट मित्र कोराइट टु दि लेफ्ट हो कर एक तुकबन्दी सुना दी। शायरी के उस्ताद ठहरे, सुनकर शेर अता फर्मा दियाः

दाद मांगे है फकत मुझसे दाद मांगे है!
मुल्क को खाज दिया, दाद भी देनी होगी?