Post – 2017-04-28

खुदा अपना नहीं था
फिर भी था तो।
खुदा वालों का दफ्तर
था खुला तो ।
खुदा के वास्ते
इनको न छेड़ो
कहा मैंने नहीं
तुमने सुना तो ।
गजब की जिद है
यह हिन्दोस्तां है
कहीं पर है नहीं
वह है यहां तो ।
मिटाने और
मिटने लिए हैं
लुढ़कने के
घिसटने के लिए हैं
यही मकसद है
अपनी जिन्दगी का
मुकद्दस काम
मैंने कर दिया तो ।