Post – 2017-04-08

बात भाषा की

और भाषा में भी भाषा भोजपुरी जिसका हिन्दीवाले भी मजाक उड़ाते हैं।

अगर रानटी या आदिम वन्य भाषा के तत्व इसमें सुरक्षित रह गए हैं तो हिन्दी की ही अन्य विकसित बोलियों तक की तुलना में इसका मजाक तो उडेगा ही। हम जानते हैं कि मनुष्य पहले बन्दर था और हाल ही में उत्तरप्रदेश में बन्दरों के गिरोह में न जानें कब से पली लड़की का ‘उद्धार’ करने के प्रयत्न में उसे उनके जत्थे से बचा कर लाया गया है और उसे इंसान बनाने की कोशिश चल रही हैं। वह आदमी बन सके या रामू भेडिये की तरह वह भी आदमी बनने से पहले मर जाये इसकी चिंता किसी को नहीं है।

इतना श्रम उसे आदमी बनाने पर किया जा रहा है, जब कि यह एक अवसर था कि उसे पकड़ने के बाद उसको कोई सूचनाग्राही यन्त्र पहना कर उसे उसी गिरोह में छोड़ दिया जाता जिसमें वह समायोजित थी और उस यन्त्र के माध्यम से बानरों के व्यवहार, उन पर आने वाले संकटों और वन के दूसरे जन्तुओं के व्यवहार का अध्ययन किया जाता ।

रामू भेड़िये के समय यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी। मेरे इस सुझाव के बाद भी कोई अन्तर नहीं आएगा, क्योंकि यह पोस्ट उन तक पहुंचेगी ही नहीं जो बानरी जीवन अपना चुकी और उसी में सन्तुष्ट बच्ची को आदमी बनाना चाहते हैं। पर इससे यह निष्कर्ष तो निकलता ही है कि किसी प्राणी को बानर से नर और मनुष्य बनाया जा सकता है । इसमें लंबा समय लगेगा। परन्तु आदमी को बानर या भेड़िया बनाने के लिए परिवार, समाज या राज्य का अपने कर्तव्य पालन में असावधानी बरतना ही काफी है। वे कुछ ही समय के भीतर उनमें बदल जायेंगे जिनके बाीच आपने समय के अभाव या अनुशासन के अभाव में किसी के द्वारा अपना बना लिए जाने के लिए उन्हें छोड़ दिया है।

यह पश्चिमी समाजों में भी हो रहा है हमारे समाज में भी हो रहा है, परन्तु कारण अलग हैं। हमारे यहां गरीबी और शरीरवैज्ञानिक कारणों के योग से बच्चे हैसियत से अधिक पैदा हो जाते हैं और उनको बहुत छोटी अवस्था में ही स्वावलम्बी बनाने की विवशता पैदा हो जाती है और जिस दिन पता चलता है कि बच्चा/बच्ची वापस नहीं आई तो उसके गुम होने की रपट तक नहीं लिखवाई जाती। कुछ तो इसलिए कि चलो छुट्टी हुई और कुछ पुलिस पर भरोसे के निचले ग्राफ के कारण।

पर अब आप बताएं कि हम चले थे भोजपुरी के लक्षणों पर बात करने, वह हो पाएगी क्या?

विषयांतर हो ही गया तो चलते राह पूछ लें कि क्या उत्तर प्रदेश में ही रामू भेडिये और मंकी गर्ल पैदा होते हैं? यदि हाँ तो कारण क्या है? यदि नहीं तो उत्तर प्रदेश की क्या विशेषता है कि इसमें आदमी भेड़िये और बन्दर में बदल जाता है, और इसकी भाषा बानरी युग और मानवी युग के कितने तत्व सभाले हुई है जिसे लेकर मैं घबराया हुआ हूँ. भाषा की समस्या कितनी पेचीदा और कितनी लम्बी है इसे समझने का प्रयास हम कल करेंगे, यदि कर सके तो, परन्तु इसके उन प्रशासकों पर जो उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने को कटिबद्ध हैं, क्या अपनी चुनौतियों का पता है कि यहां इंसान से जानवर बनाये जा चुके लोगों को आदमी बनाने की पहली समस्या है और उत्तम आदमी बनाना तो एक स्वप्न है.