2
गुलामों की तीन किस्में होती हैं. भौतिक पराधीनता जन्य, मानसिक अकर्मण्यता जन्य, आत्मिक या आस्थाजन्य. सभी के कुछ सर्वनिष्ठ लक्षण है : १.आत्मबल का ह्रास, २.श्रम, पहल और विवेक की कमी, ३. अल्प से अधिकतम की सिद्धि का प्रयत्न, ४. तीसरे लक्षण के कारण बेईमानी, छल, विश्वासघात और कमीनेपन का सहारा, और इसे ढकने के लिए दोमुंहापन – सामने कुछ, पीठ पीछे कुछ. ५. आरामतलबी, कामचोरी, हरामखोरी.६. पांचवें की क्षतिपूर्ति के लिए बड़बोलापन, लफ्फाजी, दम्भप्रदर्शन. ७. धैर्य और साहस की कमी और इसकी क्षतिपूर्ति के लिए दुस्साहस के ऐसे कारनामे जिनकी कोई सामान्य व्यक्ति करने की सोच न सके उसे परिणाम की चिंता किये बिना कर गुजरने के कारनामे या अपने मालिक द्वारा इस्तेमाल कर लिए जाने पर अविरोध. ८. अपना भाग्य बदलने की बेचैनी पर इसका फैसला या अधिकार किसी अन्य को – वह राजनीतिक दल हो या धर्मसंस्था या दूसरा कोई संगठन- सौंप कर मुक्ति पाने की प्रवृत्ति.
आप इन श्रेणियों के अनुसार अपना मूल्यांकन यह जानने के लिए करें कि आप कितने स्वतंत्र हैं और कितने ग़ुलाम. चालाकी मूल्यांकन में भी की जा सकती है क्योंकि गुलाम बुद्धिमानी का उपयोग चालाकी के साथ या उसी रूप में करने का आदी होता है.